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अपना अपना भाग्य - जैनेन्द्र कुमार ____________________________________________________________________
फहुत कुछ ननरुद्दे श्म घभ ू चक ु ने ऩय हभ सड़क के ककनाये की एक फेंच ऩय फैठ गए। नैनीतार की संध्मा धीये -धीये उतय यही थी। रूई के ये श-े से बाऩ-से फादर हभाये ससयों को छू-छूकय फेयोक-टोक घूभ यहे थे। हल्के
प्रकाश औय अंधधमायी से यं गकय कबी वे नीरे दीखते, कबी सपेद औय कपय दे य भें अरुण ऩड़ जाते। वे जैसे हभाये साथ खेरना चाह यहे थे।
ऩीछे हभाये ऩोरो वारा भैदान पैरा था। साभने अंग्रेजों का एक प्रभोदगह ृ था, जहां सुहावना, यसीरा फाजा फज यहा था औय ऩाश्वव भें था वही सुयम्म अनुऩभ नैनीतार।
तार भें ककश्श्तमां अऩने सपेद ऩार उड़ाती हुई एक-दो अंग्रेज मात्रिमों को रेकय, इधय से उधय औय उधय से इधय खेर यही थीं। कहीं कुछ अंग्रेज एक-एक दे वी साभने प्रनतस्थापऩत कय, अऩनी सुई-सी शक्र की डोंधगमों को, भानो शतव फांधकय सयऩट दौड़ा यहे थे। कहीं ककनाये ऩय कुछ साहफ अऩनी फंसी डारे, सधैम,व एकाग्र,
एकस्थ, एकननष ्ठ भछरी-धचन्तन कय यहे थे। ऩीछे ऩोरो-रान भें फच्चे ककरकारयमां भायते हुए हॉकी खेर यहे थे। शोय, भाय-ऩीट गारी-गरौच बी जैसे खेर का ही अंश था। इस तभाभ खेर को उतने ऺणों का उद्दे श्म फना, वे फारक अऩना साया भन, सायी दे ह, सभग्र फर औय सभूची पवधा रगाकय भानो खत्भ कय दे ना चाहते थे।
उन्हें आगे की धचन्ता न थी, फीते का ख्मार न था। वे शद् ु ध तत्कार के प्राणी थे। वे शब्द की सम्ऩण ू व सच्चाई के साथ जीपवत थे।
सड़क ऩय से नय-नारयमों का अपवयर प्रवाह आ यहा था औय जा यहा था। उसका न ओय था न छोय। मह प्रवाह कहां जा यहा था, औय कहां से आ यहा था, कौन फता सकता है ? सफ उम्र के, सफ तयह के रोग उसभें थे। भानो भनष्ु मता के नभन ू ों का फाजाय सजकय साभने से इठराता ननकरा चरा जा यहा हो।
अधधकाय-गवव भें तने अंग्रेज उसभें थे औय धचथड़ों से सजे घोड़ों की फाग थाभे वे ऩहाड़ी उसभें थे, श्जन्होंने
अऩनी प्रनतष्ठा औय सम्भान को कुचरकय शन् ू म फना सरमा है औय जो फड़ी तत्ऩयता से दभ ु हहराना सीख गए हैं।
बागते, खेरते, हं सते, शयायत कयते रार-रार अंग्रेज फच्चे थे औय ऩीरी-ऩीरी आंखें पाड़े, पऩता की उं गरी
ऩकड़कय चरते हुए अऩने हहन्दस् ु तानी नौननहार बी थे। अंग्रेज पऩता थे, जो अऩने फच्चों के साथ बाग यहे थे,
हं स यहे थे औय खेर यहे थे। उधय बायतीम पऩतद ृ े व बी थे, जो फुजुगी को अऩने चायों तयप रऩेटे धन-संऩन्नता के रऺणों का प्रदव शन कयते हुए चर यहे थे।
अंग्रेज यभणणमां थीं, जो धीये -धीये नहीं चरती थीं, तेज चरती थीं। उन्हें न चरने भें थकावट आती थी, न हं सने भें भौत आती थी। कसयत के नाभ ऩय घोड़े ऩय बी फैठ सकती थीं औय घोड़े के साथ ही साथ, जया जी होते ही ककसी-ककसी हहन्दस् ु तानी ऩय कोड़े बी पटकाय सकती थीं। वे दो-दो, तीन-तीन, चाय-चाय की टोसरमों भें , नन:शंक, ननयाऩद इस प्रवाह भें भानो अऩने स्थान को जानती हुई, सड़क ऩय चरी जा यही थीं।
उधय हभायी बायत की कुररक्ष्भी, सड़क के त्रफल्कुर ककनाये दाभन फचाती औय संबारती हुई, साड़ी की कई तहों भें ससभट-ससभटकय, रोक-राज, स्िीत्व औय बायतीम गरयभा के आदशव को अऩने ऩरयवेष्टनों भें नछऩाकय सहभी-सहभी धयती भें आंख गाड़े, कदभ-कदभ फढ़ यही थीं।
इसके साथ ही बायतीमता का एक औय नभूना था। अऩने कारेऩन को
खयु च-खयु चकय फहा दे ने की इच्छा
कयनेवारा अंग्रेजीदां ऩुरुषोत्तभ बी थे, जो नेहटवों को दे खकय भुंह पेय रेते थे औय अंग्रेज को दे खकय आंखे त्रफछा दे ते थे औय दभ ु हहराने रगते थे। वैसे वे अकड़कय चरते थे-भानो बायतबसू भ को इसी अकड़ के साथ कुचर-कुचरकय चरने का उन्हें अधधकाय सभरा है ।
घण्टे के घण्टे सयक गए। अंधकाय गाढ़ा हो गमा। फादर सपेद होकय जभ गए। भनष्ु मों का वह तांता एक-एक
कय ऺीण हो गमा। अफ इक्का-दक् ु का आदभी सड़क ऩय छतयी रगाकय ननकर यहा था। हभ वहीं के वहीं फैठे थे। सदी-सी भारभ ू हुई। हभाये ओवयकोट बीग गए थे। ऩीछे कपयकय दे खा। मह रार फपव की चादय की तयह त्रफल्कुर स्तब्ध औय सुन्न ऩड़ा था। सफ सन्नाटा था। तल्रीरार की त्रफजरी की योशननमां दीऩ-भासरका-सी जगभगा यही थीं। वह जगभगाहट दो
भीर तक पैरे हुए प्रकृनत के जरदऩवण ऩय प्रनतत्रफश्म्फत हो यही थी औय दऩवण का कांऩता हुआ, रहयें रेता हुआ, वह जर प्रनतत्रफम्फों को सौगन ु ा, हजायगुना कयके, उनके प्रकाश को भानो एकि औय ऩंज ू ीबूत कयके व्माप्त कय यहा था। ऩहाड़ों के ससय ऩय की योशनाईमां तायों-सी जान ऩड़ती थीं।
हभाये दे खते-दे खते एक घने ऩदे ने आकय इन सफको ढक हदमा। योशननमां भानो भय गईं। जगभगाहट रप्ु त
हो गईं। वे कारे-कारे बूत-से ऩहाड़ बी इस सपेद ऩदे के ऩीछे नछऩ गए। ऩास की वस्तु बी न दीखने रगी। भानो मह घनीबूत प्ररम था। सफ कुछ इस घनी गहयी सपेदी भें दफ गमा। एक शुभ्र भहासागय ने पैरकय संस्कृनत के साये अश्स्तत्व को डुफो हदमा। ऊऩय-नीचे, चायों तयप वह ननबेद्म, सपेद शन् ू मता ही पैरी हुई थी। ऐसा घना कुहया हभने कबी न दे खा था। वह टऩ-टऩ टऩक यहा था। भागव अफ त्रफल्कुर ननजवन-चऩ ु था। वह
प्रवाह न जाने ककन घोंसरों भें जा नछऩा था। उस वह ृ दाकाय शुभ्र शून्म भें कहीं से, ग्मायह फाय टन-टन हो उठा। जैसे कहीं दयू कब्र भें से आवाज आ यही हो। हभ अऩने-अऩने होटरों के सरए चर हदए। यास्ते भें दो सभिों का
होटर सभरा। दोनों वकीर सभि छुट्टी रेकय चरे गए। हभ दोनों आगे फढ़े । हभाया होटर आगे था। तार के ककनाये -ककनाये हभ चरे जा यहे थे। हभाये ओवयकोट तय हो गए थे। फारयश नहीं भारूभ होती थी, ऩय
वहां तो ऊऩय-नीचे हवा से कण-कण भें फारयश थी। सदी इतनी थी कक सोचा, कोट ऩय एक कम्फर औय होता तो अच्छा होता।
यास्ते भें तार के त्रफरकुर ककनाये ऩय फेंच ऩड़ी थी। भैं जी भें फेचन ै हो यहा था। झटऩट होटर ऩहुंचकय इन बीगे कऩड़ों से छुट्टी ऩा, गयभ त्रफस्तय भें नछऩकय सोना चाहता था ऩय साथ के सभिों की सनक कफ उठे गी,
कफ थभेगी-इसका ऩता न था। औय वह कैसी क्मा होगी-इसका बी कुछ अन्दाज न था। उन्होंने कहा-"आओ, जया महां फैठें।"
हभ उस चत ू े कुहये भें यात के ठीक एक फजे ताराफ के ककनाये उस बीगी फय्प-सी ठं डी हो यही रोहे की फेंच ऩय फैठ गए।
ऩांच, दस, ऩन्रह सभनट हो गए। सभि के उठने का इयादा न भारभ ू हुआ। भैंने णखससमाकय कहा"चसरए बी।" "अये जया फैठो बी।" हाथ ऩकड़कय जया फैठने के सरए जफ इस जोय से फैठा सरमा गमा तो औय चाया न यहा- राचाय फैठे यहना ऩड़ा। सनक से छुटकाया आसान न था, औय मह जया फैठना जया न था, फहुत था। चऩ ु चाऩ फैठे तंग हो यहा था, कुढ़ यहा था कक सभि अचानक फोरे"दे खो… वह क्मा है ?" भैंने दे खा-कुहये की सपेदी भें कुछ ही हाथ दयू से एक कारी-सी सयू त हभायी तयप फढ़ी आ यही थी। भैंने कहा"होगा कोई।"
तीन गज की दयू ी से दीख ऩड़ा, एक रड़का ससय के फड़े-फड़े फारों को खज ु राता चरा आ यहा है । नंगे ऩैय है , नंगा ससय। एक भैरी-सी कभीज रटकाए है । ऩैय उसके न जाने कहां ऩड़ यहे हैं, औय वह न जाने कहां जा यहा है - कहां जाना चाहता है । उसके कदभों भें जैसे कोई न अगरा है , न पऩछरा है , न दामां है , न फामां है ।
ऩास ही चग ुं ी की रारटे न के छोटे -से प्रकाशवत्त ृ भें दे खा-कोई दस फयस का होगा। गोये यं ग का है , ऩय भैर से
कारा ऩड़ गमा है । आंखें अच्छी फड़ी ऩय रूखी हैं। भाथा जैसे अबी से झुरयव मां खा गमा है । वह हभें न दे ख ऩामा। वह जैसे कुछ बी नहीं दे ख यहा था। न नीचे की धयती, न ऊऩय चायों तयप पैरा हुआ कुहया, न साभने का ताराफ औय न फाकी दनु नमा। वह फस, अऩने पवकट वतवभान को दे ख यहा था। सभि ने आवाज दी-"ए!" उसने जैसे जागकय दे खा औय ऩास आ गमा। "तू कहां जा यहा है ?" उसने अऩनी सूनी आंखें पाड़ दीं। "दनु नमा सो गई, तू ही क्मों घूभ यहा है ?" फारक भौन-भक ू , कपय बी फोरता हुआ चेहया रेकय खड़ा यहा। "कहां सोएगा?" "महीं कहीं।" "कर कहां सोमा था?" "दक ु ान ऩय।" "आज वहां क्मों नहीं?" "नौकयी से हटा हदमा।" "क्मा नौकयी थी?" "सफ काभ। एक रुऩमा औय जठ ू ा खाना!" "कपय नौकयी कये गा?" "हां।"
"फाहय चरेगा?" "हां।" "आज क्मा खाना खामा?" "कुछ नहीं।" "अफ खाना सभरेगा?" "नहीं सभरेगा!" ‘मों ही सो जाएगा?" "हां।" "कहां।" "महीं कहीं।" "इन्हीं कऩड़ों भें ?" फारक कपय आंखों से फोरकय भूक खड़ा यहा। आंखें भानो फोरती थीं-मह बी कैसा भूखव प्रश ्न! "भां-फाऩ हैं?" "हैं।" "कहां?" "ऩन्रह कोस दयू गांव भें ।" "तू बाग आमा?"
"हां!" "क्मों?" "भेये कई छोटे बाई-फहहन हैं-सो बाग आमा वहां काभ नहीं, योटी नहीं। फाऩ बूखा यहता था औय भायता था
भां बूखी यहती थी औय योती थी। सो बाग आमा। एक साथी औय था। उसी गांव का। भुझसे फड़ा था। दोनों साथ महां आए। वह अफ नहीं हैं।, "कहां गमा?" "भय गमा।" "भय गमा।" "भय गमा?" "हां, साहफ ने भाया, भय गमा।" "अच्छा, हभाये साथ चर।" वह साथ चर हदमा। रौटकय हभ वकीर दोस्तों के होटर भें ऩहुंच।े "वकीर साहफ!" वकीर रोग होटर के ऊऩय के कभये से उतयकय आए। कश्भीयी दोशारा रेऩेटे थे, भोजे-चढ़े ऩैयों भें चप्ऩर थी। स्वय भें हल्की-सी झुंझराहट थी, कुछ राऩयवाही थी। "आ-हा कपय आऩ! कहहए।" "आऩको नौकय की जरूयत थी न? दे णखए, मह रड़का है ।" "कहां से रे आए? इसे आऩ जानते हैं?" "जानता हूं-मह फेईभान नहीं हो सकता।"
"अजी, मे ऩहाड़ी फड़े शैतान होते हैं। फच्चे-फच्चे भें गुर नछऩे यहते हैं। आऩ बी क्मा अजीफ हैं। उठा राए कहीं से-रो जी, मह नौकय रो।"
"भाननए तो, मह रड़का अच्छा ननकरेगा।" "आऩ बी… जी, फस खफ ू है । ऐये -गैये को नौकय फना सरमा जाए, अगरे हदन वह न जाने क्मा-क्मा रेकय चम्ऩत हो जाए!"
"आऩ भानते ही नहीं, भैं क्मा करूं?’ "भानें क्मा, खाक? आऩ बी… जी अच्छा भजाक कयते हैं।… अच्छा, अफ हभ सोने जाते हैं।" औय वे चाय रुऩमे योज के ककयामे वारे कभये भें सजी भसहयी ऩय सोने झटऩट चरे गए।
वकीर साहफ के चरे जाने ऩय, होटर के फाहय आकय सभि ने अऩनी जेफ भें हाथ डारकय कुछ टटोरा। ऩय झट कुछ ननयाश बाव से हाथ फाहय कय भेयी ओय दे खने रगे। "क्मा है ?" "इसे खाने के सरए कुछ-दे ना चाहता था" अंग्रेजी भें सभि ने कहा-"भगय, दस-दस के नोट हैं।" "नोट ही शामद भेये ऩास हैं, दे ख? ूं " सचभच ु भेये ऩाककट भें बी नोट ही थे। हभ कपय अंग्रेजी भें फोरने रगे। रड़के के दांत फीच-फीच भें कटकटा उठते थे। कड़ाके की सदी थी। सभि ने ऩूछा-"तफ?" भैंने कहा-"दस का नोट ही दे दो।" सकऩकाकय सभि भेया भंह ु दे खने रगे-"अये माय! फजट त्रफगड़ जाएगा। रृदम भें श्जतनी दमा है , ऩास भें उतने ऩैसे तो नहीं हैं।"
"तो जाने दो, मह दमा ही इस जभाने भें फहुत है ।" भैंने कहा। सभि चऩ ु यहे । जैसे कुछ सोचते यहे । कपय रड़के से फोरे-"अफ आज तो कुछ नहीं हो सकता। कर सभरना। वह ‘होटर डी ऩफ’ जानता है ? वहीं कर दस फजे सभरेगा?"
"हां, कुछ काभ दें गे हुजूय?"
"हां, हां, ढूंढ दं ग ू ा।" "तो जाऊं?" "हां," ठं डी सांस खींचकय सभि ने कहा-"कहां सोएगा?" "महीं कहीं फेंच ऩय, ऩेड़ के नीचे ककसी दक ु ान की बट्ठी भें ।" फारक कपय उसी प्रेत-गनत से एक ओय फढ़ा औय कुहये भें सभर गमा। हभ बी होटर की ओय फढ़े । हवा तीखी थी-हभाये कोटों को ऩाय कय फदन भें तीय-सी रगती थी।
ससकुड़ते हुए सभि ने कहा-"बमानक शीत है । उसके ऩास कभ-फहुत कभ कऩड़े…" "मह संसाय है माय!" भैंने स्वाथव की कपरासपी सुनाई-"चरो, ऩहरे त्रफस्तय भें गभव हो रो, कपय ककसी औय की धचन्ता कयना।"
उदास होकय सभि ने कहा-"स्वाथव!-जो कहो, राचायी कहो, ननष्ठुयता कहो, मा फेहमाई!" दस ू ये हदन नैनीतार- स्वगव के ककसी कारे गुराभ ऩशु के दर ु ाये का वह फेटा- वह फारक, ननश्श्चत सभम ऩय हभाये ‘होटर डी ऩफ’ भें नहीं आमा। हभ अऩनी नैनीतार की सैय खश ु ी-खश ु ी खत्भ कय चरने को हुए। उस रड़के की आस रगाते फैठे यहने की जरूयत हभने न सभझी। भोटय भें सवाय होते ही थे कक मह सभाचाय सभरा कक पऩछरी यात, एक ऩहाड़ी फारक सड़क के ककनाये , ऩेड़ के नीचे, हठठुयकय भय गमा!
भयने के सरए उसे वही जगह, वही दस फयस की उम्र औय वही कारे धचथड़ों की कभीज सभरी। आदसभमों की दनु नमा ने फस मही उऩहाय उसके ऩास छोड़ा था।
ऩय फताने वारों ने फतामा कक गयीफ के भंह ु ऩय, छाती भट् ु ठी औय ऩैयों ऩय फयप की हल्की-सी चादय धचऩक
गई थी। भानो दनु नमा की फेहमाई ढकने के सरए प्रकृनत ने शव के सरए सपेद औय ठण्डे कपन का प्रफन्ध कय हदमा था।
सफ सुना औय सोचा, अऩना-अऩना बाग्म।
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" अपना अपना भाग्य - जैनेन्द्र कुमार " ______________________________________________________________ Editing and Uploading by: मयंक सक्सैना (Mayank Saxena) आगरा, उत्तर प्रदे श, भारत (AGRA, Uttar Pradesh, INDIA)
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